Virtual Reality (VR) in Hindi And English
Virtual
Reality (VR)
मनुष्य को कम्प्युटर तकनीक के द्वारा आभासी दुनिया का वास्तविक अनुभव
कराना ही Virtual Reality कहलाता है। इस दौरान 3डी ग्राफिक्स तथा सॉफ़्टवेयर एवं हार्डवेयर
से एक Real Enviroment तैयार किया जाता है। इसे Virtual Reality Equipment की मदद से अनुभव
करवाया जाता हैं।
Virtual Reality is the real experience of the virtual world
to humans through computer technology. During this, a real environment is
created from 3D graphics and software and hardware. It is experienced with the
help of Virtual Reality Equipment.
आभासी दुनिया में मनुष्य भौतिक और मानसिक रूप से जुड़ जाता है। जिसे वह महसूस करता है, उसमें चल-फिर सकता है और
मौजुद आइटमों को देख एवं छू भी सकता हैं। Virtual Reality Equipment को उतारने के बाद
वह कल्पित दुनिया से वास्तविक दुनिया में पहुँच जाता है ।
In the virtual world man becomes physically and mentally
connected. He can move in what he feels, and can even see and touch objects.
After taking off the Virtual Reality Equipment, he enters the real world from
the imaginary world.
History of Virtual
Reality
साल 1962 में Cinematographer “Morton Heilig” ने एक VR मशीन
बनाई जिसका नाम रखा गया “Sensorama”| इस मशीन को इसलिए बनाया गया था, ताकि दर्शकों
को एक बेहतरीन और संपूर्ण सिनेमा का अहसास करवाया जा सके |
In the year 1962, Cinematographer "Morton Heilig"
made a VR machine named "Sensorama". This machine was made so that
the audience could be made to feel a great and complete cinema.
साल 1968 में, अमेरिकी scientist “Ivan Sutherland” ने अपने शिष्य
“Bob Sproull” के साथ मिलकर पहला virtual reality headset बनाया | ये user को एक
3-D माहौल का अहसास कराती थी |
In the year 1968, American scientist "Ivan
Sutherland" along with his disciple "Bob Sproul" created the
first virtual reality headset. It gave the user a feeling of a 3-D environment.
Types of Virtual Reality
(VR)
इस आभासी अनुभव के आधार पर VR Technology के तीन मुख्य प्रकार
हैं-
There are three main types of VR technology based on
this virtual experience-
1) Fully
Immersive VR
2) Semi-Immersive
VR
3) Non-Immersive
VR
4) Fully
Immersive Virtual Reality
Fully Immersive VR
यह आभासी दुनिया का वास्तविक अनुभव कराने की उच्च तकनीक है.
जिसमें HMDs (Head-Mounted Display) तथा मोशन डिटेक्टिंग डिवाइसों के जरिए मनुष्य की
इन्द्रियों को सच्चाई का वास्तविक आभास कराने का प्रयास किया जाता है। इस तकनीक में वास्तविक युजर अनुभव का आभास होता
है।
It is high technology to make the real experience of
virtual world. In which an attempt is made to give a real sense of reality to
the human senses through HMDs (Head-Mounted Display) and motion detecting
devices.
Semi-Immersive VR
इस आभासी दुनिया में इंसान आंशिक तौर पर आभासी दुनिया का वास्तविक
अनुभव कर पाता है। इसे आप विडियों गेम्स तकनीक
के समान मान सकते है। इस Virtual Reality को बनाने के लिए High Performance
Graphical Computer Systems तथा बड़ी स्क्रीन प्रोजेक्टर या टेलिविजन का इस्तेमाल होता
है।
In this virtual world, humans are able to partially
experience the virtual world. You can consider it similar to video games
technology. High Performance Graphical Computer Systems and large screen
projector or television is used to create this Virtual Reality.
Non-Immersive Virtual
Reality
यह वर्चुअल रियलिटी का सबसे कम आभास वाला अनुभव कराने की तकनीक
है। जिसका आभास इंसान को किसी High
Resolution Monitor के जरिए करवाया जाता है।
यह एक 3डी पैटिंग देखने के समान अनुभव होता है।
It is a technology to create the least immersive
experience of Virtual Reality. Whose impression is made to a person through a
high resolution monitor, it is an experience similar to watching a 3D painting.
Using Virtual Reality
Virtual Reality का उपयोग निम्न क्षेत्रों में खूब किया जा
सकता हैं-
VR in Education
VR in Medical
VR in Defense
VR in Arts & Architecture
VR in Entertainment
Tools for Experiencing Virtual Reality
(Virtual Reality को अनुभव
करने के काम आने वाले उपकरण )
HMDs (Head-Mounted
Displays)
यह उपकरण एक मोटरबाईक के हेलमेट की भांति होता है। जिसमें दो छोटी स्क्रीन के साथ स्टिरियो स्पीकर
लगे रहते है। और बाहरी रोशनी को अंदर आने से
रोकने का पूरा इंतेज़ाम किया रहता है। दोनों स्क्रीन 3डी इमेज बनाती है ,जो युजर के मूवमेंट
के हिसाब से अपना आकार-रूप बदलने में सक्षम होती है।
This device is similar to the helmet of a motorbike. In
which stereo speakers are attached with two small screens. And all the
arrangements are made to prevent the outside light from coming in. Both the
screens produce 3D images, which are capable of changing their shape and size
according to the movement of the user.
HMDs में बिल्ट-इन एक्सेलरोमीटर या पॉजिशन सेंसर लगे होते
है. जो सिर की हलचल को पकड़ते है और आभासी वातावरण को इसी अनुसार अनुकूल होने में मदद
करते है।
HMDs have built-in accelerometer or position sensors. then
capture the movement of the head and help the virtual environment to adapt accordingly.
Immersive Rooms
एचएमडी के अलावा एक वर्चुअल रूम बनाया गया है। जिनकी दीवारें
आंशिक रूप से पारदर्शी हैं, जिसके पीछे से 3डी ग्राफिक्स का अनुमान लगाया गया जाता
है। यहां यूजर को एचएमडी जैसा हेलमेट पहनने
की जरूरत नहीं है। लेकिन 3D चश्मा पहनना पड़ता है, हम इस तकनीक का उपयोग फ्लाइट सिमुलेशन
में करते हैं।
Apart from HMD, a virtual room has been created. Whose
walls are partially transparent, behind which 3D graphics are projected, here
the user does not need to wear a helmet like HMD. But 3D glasses have to be worn;
we use this technology in flight simulation.
Data gloves (Input
Devices)
ये इनपुट उपकरण कहलाते है। इनकी मदद से युजर को वास्तविक अनुभव कराने में आवश्यक
डेटा तथा मदद मिलती है।
These are called input devices. With their help, the
necessary data and help in making the user experience real.
डेटाग्लव उपकरण को हाथ में पहना दिया जाता है. जो सेंसर्स
युक्त होता है। जैसे ही युजर किसी वस्तु पर
अंगुली रखता है या फिर छूता है तो दिए गए दबाव के आधार पर इनपुट निर्मित होता है, जिसके
अनुसार आभासी-वातावरण अनुकूल होता है। इस डिवाईस
में फाईबर-ऑप्टिक केबल का उपयोग होता है।
The dataglove device is worn on the hand. Which is equipped with sensors. As the user places a finger on or touches an object, an input is created based on the given pressure, according to which the virtual-environment is adapted. This device uses a fiber-optic cable.
No comments: